जब भी कोई दुष्कर्म करे तो मुझको ग़लत बताते हो, क्या सिर्फ लिबास ही दिखता है, मां, बहन जब भी कोई दुष्कर्म करे तो मुझको ग़लत बताते हो, क्या सिर्फ लिबास ही दिखता है...
मैं औरत हूं, बहन हूँ ,बेटी हूं, मां हूं,अभिमान हूं, अभिशाप नहीं। सिर्फ रोटियां सेंक मैं औरत हूं, बहन हूँ ,बेटी हूं, मां हूं,अभिमान हूं, अभिशाप नहीं। सिर...
यह फ़क्र नही यह फर्क है। यह फ़क्र नही यह फर्क है।
चले थे करने अपनी क़ैद में उसकी आज़ादी को उसकी ताज़गी को उस रानी को चले थे करने अपनी क़ैद में उसकी आज़ादी को उसकी ताज़गी को उस रानी को
तुम्हारी शिकायत भी सिर्फ मुझसे ही है। तुम्हारी शिकायत भी सिर्फ मुझसे ही है।
शरीर को चाहिए रोटी, रोटी के लिए बिकता है शरीर, अस्मत और मजबूरी की, जंग जारी है शरीर को चाहिए रोटी, रोटी के लिए बिकता है शरीर, अस्मत और मजबूरी की, जंग जारी है